प्रेम कहानी--पूर्णा

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aries
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प्रेम कहानी--पूर्णा

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वह एक गोरी, चंचल हिरणी जैसी चाल वाली लड़की थी, जिसका नाम पूर्णा था। पूर्णा के नाम के कई अर्थ हो सकते हैं। एक तो यह कि वह अपने मदमस्त यौवन की दहलीज पर खड़ी होकर एक पूर्ण महिला बन चुकी थी। शायद गरीबी और लाचारी उसकी मजबूरी थी, इसलिए उसने अपने से कई साल बड़े एक मध्यवर्गीय व्यक्ति से शादी की। उस समाज में, जहां इस तरह के रिश्तों को "गंधर्व विवाह" कहा जाता है, इसे आम बोलचाल में "पाट" भी कहा जाता है।

पूर्णा की शादी ने आसपास के लोगों का ध्यान और विवाद उत्पन्न किया। समाज के कुछ स्वयंभू सुधारक लोगों ने यह मान लिया कि वह उस उम्रदराज व्यक्ति के साथ विवाह करके अपने भविष्य को खो रही है, इसलिए उन्होंने उसे उस शादी से बलात् मुक्त करने का निर्णय लिया। लेकिन अब पूर्णा एक नई दुविधा में पड़ गई: जब वह वहां से निकली, तो उसे कहाँ जाना था? कोई भी उसे अपने घर रखने को तैयार नहीं था।

पूर्णा की खूबसूरती और युवा आकर्षण ने कई लोगों का ध्यान खींचा, जैसे लोग मीठे पकवान को देखकर लार टपकाते हैं। लेकिन जब उसे विवाह मंडप से जबरन निकाल दिया गया, तो समाज के संरक्षक भले ही उसकी रक्षा की बात कर रहे थे, लेकिन जब सच में मदद की जरूरत पड़ी, तो कोई भी उसे अपनाने को तैयार नहीं था। हर कोई अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा था, जिससे पूर्णा बेहद अकेला और निराश महसूस कर रही थी।

इस स्थिति में, जिन लोगों ने पहले उसकी रक्षा करने का दावा किया था, वे सभी पीछे हट गए और पूर्णा को अकेले भविष्य के अनिश्चितता का सामना करने के लिए छोड़ दिया। जबकि उसके दिल में उम्मीदें थीं, वास्तविकता ने उसे असहाय बना दिया। जब वह निराश महसूस कर रही थी, तब एक परिवार ने उसे अस्थायी रूप से अपने घर में आश्रय देने का निर्णय लिया, ताकि उसकी पीड़ा कम हो सके। हालांकि, यह निर्णय पूर्णा को लंबे समय तक शांति नहीं दे सका, बल्कि उसे एक नई समस्या में डाल दिया।

यह परिवार सहानुभूति और उसकी पीड़ा को कम करने के इरादे से इस बेसहारा और गरीब लड़की को अपने घर ले आया। लेकिन जब पूर्णा धीरे-धीरे उनके लिए बोझ बनने लगी, तो उन्हें भी ऐसा महसूस होने लगा कि वह एक समस्या बन गई है। पूरे एक सप्ताह बीत गया, लेकिन न तो समाज की पंचायत बैठी और न ही कोई उसकी खबर लेने आया। इस स्थिति में उस घर में भी हंगामा होना स्वाभाविक था।

सबसे पहले उस परिवार की पत्नी ने पूर्णा के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। अब वह चिंतित थी कि कहीं उसका पति किसी दूसरी पत्नी को घर न ले आए। ईर्ष्या बहुत बुरी होती है। उसने अपने जवान बेटे को छोड़कर अब पति पर शक करना शुरू कर दिया था।

पूर्णा और उसके जवान बेटे के बीच बढ़ती दूरी से अनजान मां अपनी पति की चिंता और दूसरी पत्नी की आशंका के कारण बीमार हो गई थी। इस बीच, अनाथ पूर्णा का जब भरा-पूरा परिवार और हमउम्र प्रेमी मिल गया, तो दोनों के बीच की दूरी कम होने लगी। परिवार में अब पूर्णा को लेकर मची महाभारत से तंग आकर एक दिन उसका आश्रयदाता उन समाज के ठेकेदारों के पास गया जिन्होंने उनके शांत और खुशहाल जीवन में भूचाल ला दिया था।

पति अपनी पत्नी के दिन-रात तानों से परेशान होकर पूर्णा को अपने घर से बाहर निकालने का फैसला कर चुका था। इस तरह, पूर्णा फिर से सड़क पर आ गई। कल बाजार में बिक चुकी पूर्णा आज फिर किसी नए खरीदार का इंतजार कर रही थी क्योंकि वह अपना पूरा जीवन आखिरकार किसके सहारे बिताएगी?

पूर्णा का नाम उसके जीवन अनुभवों जैसा ही था। वह चंचल हिरणी और कलकल बहती नदी की तरह थी; उसका कोई ठहराव नहीं था। इसलिए उसे उस सागर की ओर बहना था जिससे उसका मिलन होगा। सागर की खोज में पूर्णा निकली लेकिन क्या वह वास्तव में सागर से मिली या नहीं, यह किसी को नहीं पता।

पूर्णा को पूरा विश्वास था कि उसका हमउम्र प्रेमी जरूर उसका हाथ थाम लेगा, लेकिन माता-पिता पर निर्भर रहने के कारण वह न केवल उसका हाथ थामने से चूक गई बल्कि उससे आंख तक मिलाने को तैयार नहीं थी। ऐसे में उम्मीदों और आंसुओं से भरी आंखों के साथ उसने अपना सामान समेटा और उस घर को विदाई देकर चली गई।

उसे यह भी नहीं पता चला कि उसने कब उस घर में एक महीने से अधिक समय बिताया जहां हर दिन झगड़े होते रहते थे। कोई नहीं जानता था कि पूर्णा कौन थी, लेकिन जब उसकी शादी एक उम्रदराज व्यक्ति से हो रही थी तो पूरा कथित समाज लावालश्कर के साथ वहां जमा हो गया था।

ऐसा लग रहा था कि इन सब लोगों में से किसी का परिवार सदस्य है पूर्णा, लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी जिसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा था। आज पूर्णा को गए पच्चीस साल हो चुके हैं; वह जीवित है या नहीं, कोई नहीं जानता।

पूर्णा की मदमस्त जवानी और उसका अल्हड़पन हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता था। काफी समय बाद आज जब मैंने दक्षिण भारत की आइटम गर्ल कहे जाने वाली स्वर्गीय सिल्क स्मिता की टीवी पर चल रही फिल्म में उसके चेहरे की झलक देखी तो मुझे अपनी पूर्णा याद आ गई।

अपनी पूर्व प्रेमिका और पहले प्यार को याद करते हुए जब मेरी आंखों से आंसू बहने लगे तो पास बैठी पत्नी ने आखिरकार सवाल दाग ही दिया: “क्या हुआ? आप क्यों रो रहे हैं?” अपनी पत्नी द्वारा मेरी आंखों के आंसुओं का रहस्य पकड़ने पर मैंने बहाना बनाया: “कुछ नहीं, आंख में कुछ चला गया…” पत्नी ने तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से मेरी आंखों को पोछने का प्रयास किया लेकिन जब कुछ नहीं निकला तो वह भी आश्चर्यचकित रह गई।

पति को रोते देख पत्नी ने फिर से सवाल किया: “क्या आपको उस दूसरी पत्नी की याद आ गई जिसके पीछे आप हमेशा सब कुछ लुटाते आए हैं?” पत्नी के मुंह से ये कड़वे शब्द सुनकर मैं कमरे से बाहर निकल पड़ा। जब देर रात तक पति घर पर नहीं आया तो पत्नी ने भी चिंता जताई और उसने सभी जगह फोन किए।

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