कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
Posted: Thu Sep 26, 2024 9:38 am
कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
दोस्तो वैसे तो आप मे से बहुत से लोग इन कहानियो को पढ़ चुके होंगे . क्योंकि मेरे ब्लॉग कामुक कहानियाँ से कॉपी होकर ये कहानियाँ कई वेब साइटो पर मौजूद है मगर मैं चाहता हूँ कि कम से कम पहले कुछ पुरानी कहानियाँ यहाँ पोस्ट कर लूँ
और कुछ कहानियाँ नई भी चलती रहे तो दोस्तो पेश है एक और पुरानी कहानी --कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
मैं बचपन से ही बहुत सुंदर थी. मेरा एक छोटा भाई है, विकी. विकी मुझ से दो साल छोटा है. विकी भी लंबा तगड़ा जवान है. मेरी छातियाँ भर आई थी. बगल में और टाँगों के बीच में काफ़ी बाल निकलने लगे थे. 18 साल तक पहुँचते पहुँचते तो मैं मानो पूरी जवान लगने लगी थी. गली में और बाज़ार में लड़के आवाज़ें कसने लगे थे. ब्रा की ज़रूरत तो पहले से ही पद गयी थी. 18साल में साइज़ 34 इंच हो गया था. अब तो टाँगों के बीच में बाल बहुत ही घने और लंबे हो गये थे. हालाँकि कमर काफ़ी पतली थी लेकिन मेरे नितंब काफ़ी भारी और चौड़े हो गये थे. मुझे अहसास होता जा रहा था कि लड़कों को मेरी दो चीज़ें बहुत आकर्षित करती हैं – मेरे नितंब और मेरी उभरी हुई छातियाँ. स्कूल में मेरी बहुत सी सहेलियों के चक्कर थे, लेकिन मैं कभी इस लाफदे में नहीं पड़ी. स्कूल से ही मेरे पीछे बहुत से लड़के दीवाने थे. लड़कों को और भी ज़्यादा तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आता था. स्कूल में सिर्फ़ घुटनों से नीचे तक की स्कर्ट ही अलोड थी. क्लास में बैठ कर मैं अपनी स्कर्ट जांघों तक चढ़ा लेती थी और लड़कों को अपनी गोरी गोरी सुडोल मांसल टाँगों के दर्शन कराती. केयी लड़के जान बूझ कर अपना पेन या पेन्सिल नीचे गिरा कर, उठाने के बहाने मेरी टाँगों के बीच में झाँक कर मेरी पॅंटी की झलक पाने की नाकामयाब कोशिश करते.
19 साल की उम्र में तो मेरा बदन पूरी तरह से भर गया था. अब तो अपनी जवानी को कपड़ों में समेटना मुश्किल होता जा रहा था. छातियों का साइज़ 36 इंच हो गया था.मेरे नितुंबों को संभालना मेरी पॅंटी के बस में नहीं रहा. और तो और टाँगों के बीच में बाल इतने घने और लंबे हो गये कि दोनो तरफ से पॅंटी के बाहर निकलने लगे थे. ऐसी उल्हड़ जवानी किसी पर भी कहर बरसा सकती थी. मेरा छोटा भाई विकी भी जवान हो रहा था, लेकिन आप जानते हैं लड़कियाँ जल्दी जवान हो जाती हैं. हम दोनो एक ही स्कूल में पढ़ते थे. हम दोनो भाई बेहन में बहुत प्यार था. कभी कभी मुझे महसूस होता कि विकी भी मुझे अक्सर और लड़कों की तरह देखता है.
लेकिन मैं यह विचार मन से निकाल देती. लड़कों की ओर मेरा भी आकर्षण बढ़ता जा रहा था, लेकिन मैं लड़कों को तडपा कर ही खुश हो जाती थी.
मेरी एक सहेली थी नीलम. उसका कॉलेज के लड़के, सुधीर के साथ चक्कर था. वो अक्सर अपने इश्क़ की रसीली कहानियाँ सुनाया करती थी. उसकी कहानियाँ सुन कर मेरे बदन में भी आग लग जाती. नीलम और सुधीर के बीच में शारीरिक संबंध भी थे. नीलम ने ही मुझे बताया था कि लड़कों के गुप्तांगों को लंड या लॉडा और लड़कियो के गुप्तांगों को चूत कहते हैं. जब लड़के का लंड लड़की की चूत में जाता है तो उसे चोदना कहते हैं. नीलम ने ही बताया की जब लड़के उत्तेजित होते हैं तो उनका लंड और भी लंबा मोटा और सख़्त हो जाता है जिसको लंड का खड़ा होना बोलते हैं. 16 साल की उम्र तक मुझे ऐसे शब्दों का पता नहीं था. अभी तक ऐसे शब्द मुँह से निकालते हुए मुझे शर्म आती है पर लिखने में संकोच कैसा? हालाँकि मैने बच्चों की नूनियाँ बहुत देखी थी पर आज तक किसी मर्द का लंड नहीं देखा था. नीलम के मुँह से सुधीर के लंड का वर्णन सुन कर मेरी चूत भी गीली हो जाती. सुधीर नीलम को हफ्ते में तीन चार बार चोद्ता था. एक बार मैं सुधीर और नीलम के साथ स्कूल से भाग कर पिक्चर देखने गये. पिक्चर हॉल में नीलम हम दोनो के बीच में बैठी थी. लाइट ऑफ हुई और पिक्चर शुरू हुई. कुच्छ देर बाद मुझे ऐसा लगा मानो मैने नीलम के मुँह से सिसकी की आवाज़ सुनी हो. मैने कन्खिओ से नीलम की ओर देखा. रोशनी कम होने के कारण साफ तो दिखाई नहीं दे रहा था पर जो कुच्छ दिखा उसेदेख कर मैं डांग रह गयी. नीलम की स्कर्ट जांघों तक उठी हुई थी और सुधीर का हाथ नीलम की टाँगों के बीच में था. सुधीर की पॅंट के बटन खुले हुए थे और नीलम सुधीर के लंड को सहला रही थी. अंधेरे में मुझे सुधीर के लंड का साइज़ तो पता नहीं लगा लेकिन जिस तरह नीलम उस पर हाथ फेर रही थी, उससे लगता था की काफ़ी बड़ा होगा. सुधीर का हाथ नीलम की टाँगों के बीच में क्या कर रहा होगा ये सोच सोच कर मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और पॅंटी को भी गीला कर रही थी. इंटर्वल में हम लोग बाहर कोल्ड ड्रिंक पीने गये. नीलम का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था. सुधीर की पॅंट में भी लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. सुधीर ने मुझे अपने लंड के उभार की ओर देखते हुए पकड़ लिया. मेरी नज़रें उसकी नज़रें से मिली और मैं मारे शर्म के लाल हो गयी. सुधीर मुस्कुरा दिया. किसी तरह इंटर्वल ख़तम हुआ और मैने चैन की साँस ली. पिक्चर शुरू होते ही नीलम का हाथ फिर से सुधीर के लंड पे पहुँच गया. लेकिन सुधीर ने अपना हाथ नीलम के कंधों पर रख लिया. नीलम के मुँह से सिसकी की आवाज़ सुन कर मैं समझ गयी की अब वो नीलम की चूचियाँ दबा रहा था. अचानक सुधीर का हाथ मुझे टच करने लगा. मैने सोचा ग़लती से लग गया होगा. लेकिन धीरे धीरे वो मेरी पीठ सहलाने लगा और मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरने लगा. नीलम इससे बिल्कुल बेख़बर थी. मैं मारे डरके पसीना पसीना हो गयी और हिल ना सकी. अब सुधीर का साहस और बढ़ गया और उसने साइड से हाथ डाल कर मेरी उभरी हुई चूची को शर्ट के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया. मैं बिल्कुल बेबुस थी. उठ कर चली जाती तो नीलम को पता लग जाता. हिम्मत मानो जबाब दे चुकी थी. सुधीर ने इसका पूरा फ़ायदा उठाया. वो धीरे धीरे मेरी चूची सहलाने लगा. इतने में नीलम मुझसे बोली,“ कंचन पेशाब लगी है ज़रा बाथरूम जा कर आती हूँ.” मेरा कलेजा तो धक से रह गया. जैसे ही नीलम गयी सुधीर ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैने एकदम से हड़बड़ा के हाथ खींचने की कोशिश की, लेकिन सुधीर ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था. लंड काफ़ी गरम, मोटा और लोहे के समान सख़्त था. मैं रुनासि होके बोली
"सुधीर, तुम ये क्या कर रहे हो? मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं नीलम को सब बता दूँगी।" सुधीर मंजे हुए खिलाड़ी की तरह बोला,
“ मेरी जान तुम पर तो मैं मरता हूँ. तुमने मेरी रातों की नींद चुरा ली है. मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ.” यह कह कर वो मेरा हाथ अपने लंड पर रगड़ता रहा.
“ सुधीर तुम नीलम को धोका दे रहे हो. वो बेचारी तुमसे शादी करना चाहती है और तुम दूसरी लड़कियो के पीछे पड़े हो.”
"कांग-चान, मेरे प्रिय, तुम मेरे लिए अजनबी नहीं हो, तुम मेरे हो। मैंने नीलम से दोस्ती सिर्फ इसलिए की थी ताकि तुम्हें पकड़ सकूँ।"
"झूठ बोल रहे हो! नीलम ने तुम्हें अपना पूरा भरोसा सौंप दिया है। तुम्हें उस बेचारी लड़की को धोखा देने पर शर्म आनी चाहिए। कृपया अब मेरा हाथ छोड़ दो।"
इतने में नीलम वापस आ गयी. सुधीर ने झट से मेरा हाथ छोड़ दिया. मेरी लाचारी का फायेदा उठाने के कारण मैं बहुत गुस्से में थी, लेकिन ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द के खड़े लंड को हाथ लगाने के अनुभव से खुश भी थी. नीलम के बैठने के बाद सुधीर ने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया. नीलम ने उसका हाथ अपने कंधों से हटा कर अपनी टाँगों के बीच में रख दिया और सुधीर के लंड को फिर से सहलाने लगी. सुधीर भी नीलम की स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा. जैसे ही नीलम ने ज़ोर की सिसकी ली मैं समझ गयी कि सुधीर ने अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी है.
दोस्तो वैसे तो आप मे से बहुत से लोग इन कहानियो को पढ़ चुके होंगे . क्योंकि मेरे ब्लॉग कामुक कहानियाँ से कॉपी होकर ये कहानियाँ कई वेब साइटो पर मौजूद है मगर मैं चाहता हूँ कि कम से कम पहले कुछ पुरानी कहानियाँ यहाँ पोस्ट कर लूँ
और कुछ कहानियाँ नई भी चलती रहे तो दोस्तो पेश है एक और पुरानी कहानी --कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
मैं बचपन से ही बहुत सुंदर थी. मेरा एक छोटा भाई है, विकी. विकी मुझ से दो साल छोटा है. विकी भी लंबा तगड़ा जवान है. मेरी छातियाँ भर आई थी. बगल में और टाँगों के बीच में काफ़ी बाल निकलने लगे थे. 18 साल तक पहुँचते पहुँचते तो मैं मानो पूरी जवान लगने लगी थी. गली में और बाज़ार में लड़के आवाज़ें कसने लगे थे. ब्रा की ज़रूरत तो पहले से ही पद गयी थी. 18साल में साइज़ 34 इंच हो गया था. अब तो टाँगों के बीच में बाल बहुत ही घने और लंबे हो गये थे. हालाँकि कमर काफ़ी पतली थी लेकिन मेरे नितंब काफ़ी भारी और चौड़े हो गये थे. मुझे अहसास होता जा रहा था कि लड़कों को मेरी दो चीज़ें बहुत आकर्षित करती हैं – मेरे नितंब और मेरी उभरी हुई छातियाँ. स्कूल में मेरी बहुत सी सहेलियों के चक्कर थे, लेकिन मैं कभी इस लाफदे में नहीं पड़ी. स्कूल से ही मेरे पीछे बहुत से लड़के दीवाने थे. लड़कों को और भी ज़्यादा तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आता था. स्कूल में सिर्फ़ घुटनों से नीचे तक की स्कर्ट ही अलोड थी. क्लास में बैठ कर मैं अपनी स्कर्ट जांघों तक चढ़ा लेती थी और लड़कों को अपनी गोरी गोरी सुडोल मांसल टाँगों के दर्शन कराती. केयी लड़के जान बूझ कर अपना पेन या पेन्सिल नीचे गिरा कर, उठाने के बहाने मेरी टाँगों के बीच में झाँक कर मेरी पॅंटी की झलक पाने की नाकामयाब कोशिश करते.
19 साल की उम्र में तो मेरा बदन पूरी तरह से भर गया था. अब तो अपनी जवानी को कपड़ों में समेटना मुश्किल होता जा रहा था. छातियों का साइज़ 36 इंच हो गया था.मेरे नितुंबों को संभालना मेरी पॅंटी के बस में नहीं रहा. और तो और टाँगों के बीच में बाल इतने घने और लंबे हो गये कि दोनो तरफ से पॅंटी के बाहर निकलने लगे थे. ऐसी उल्हड़ जवानी किसी पर भी कहर बरसा सकती थी. मेरा छोटा भाई विकी भी जवान हो रहा था, लेकिन आप जानते हैं लड़कियाँ जल्दी जवान हो जाती हैं. हम दोनो एक ही स्कूल में पढ़ते थे. हम दोनो भाई बेहन में बहुत प्यार था. कभी कभी मुझे महसूस होता कि विकी भी मुझे अक्सर और लड़कों की तरह देखता है.
लेकिन मैं यह विचार मन से निकाल देती. लड़कों की ओर मेरा भी आकर्षण बढ़ता जा रहा था, लेकिन मैं लड़कों को तडपा कर ही खुश हो जाती थी.
मेरी एक सहेली थी नीलम. उसका कॉलेज के लड़के, सुधीर के साथ चक्कर था. वो अक्सर अपने इश्क़ की रसीली कहानियाँ सुनाया करती थी. उसकी कहानियाँ सुन कर मेरे बदन में भी आग लग जाती. नीलम और सुधीर के बीच में शारीरिक संबंध भी थे. नीलम ने ही मुझे बताया था कि लड़कों के गुप्तांगों को लंड या लॉडा और लड़कियो के गुप्तांगों को चूत कहते हैं. जब लड़के का लंड लड़की की चूत में जाता है तो उसे चोदना कहते हैं. नीलम ने ही बताया की जब लड़के उत्तेजित होते हैं तो उनका लंड और भी लंबा मोटा और सख़्त हो जाता है जिसको लंड का खड़ा होना बोलते हैं. 16 साल की उम्र तक मुझे ऐसे शब्दों का पता नहीं था. अभी तक ऐसे शब्द मुँह से निकालते हुए मुझे शर्म आती है पर लिखने में संकोच कैसा? हालाँकि मैने बच्चों की नूनियाँ बहुत देखी थी पर आज तक किसी मर्द का लंड नहीं देखा था. नीलम के मुँह से सुधीर के लंड का वर्णन सुन कर मेरी चूत भी गीली हो जाती. सुधीर नीलम को हफ्ते में तीन चार बार चोद्ता था. एक बार मैं सुधीर और नीलम के साथ स्कूल से भाग कर पिक्चर देखने गये. पिक्चर हॉल में नीलम हम दोनो के बीच में बैठी थी. लाइट ऑफ हुई और पिक्चर शुरू हुई. कुच्छ देर बाद मुझे ऐसा लगा मानो मैने नीलम के मुँह से सिसकी की आवाज़ सुनी हो. मैने कन्खिओ से नीलम की ओर देखा. रोशनी कम होने के कारण साफ तो दिखाई नहीं दे रहा था पर जो कुच्छ दिखा उसेदेख कर मैं डांग रह गयी. नीलम की स्कर्ट जांघों तक उठी हुई थी और सुधीर का हाथ नीलम की टाँगों के बीच में था. सुधीर की पॅंट के बटन खुले हुए थे और नीलम सुधीर के लंड को सहला रही थी. अंधेरे में मुझे सुधीर के लंड का साइज़ तो पता नहीं लगा लेकिन जिस तरह नीलम उस पर हाथ फेर रही थी, उससे लगता था की काफ़ी बड़ा होगा. सुधीर का हाथ नीलम की टाँगों के बीच में क्या कर रहा होगा ये सोच सोच कर मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और पॅंटी को भी गीला कर रही थी. इंटर्वल में हम लोग बाहर कोल्ड ड्रिंक पीने गये. नीलम का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था. सुधीर की पॅंट में भी लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. सुधीर ने मुझे अपने लंड के उभार की ओर देखते हुए पकड़ लिया. मेरी नज़रें उसकी नज़रें से मिली और मैं मारे शर्म के लाल हो गयी. सुधीर मुस्कुरा दिया. किसी तरह इंटर्वल ख़तम हुआ और मैने चैन की साँस ली. पिक्चर शुरू होते ही नीलम का हाथ फिर से सुधीर के लंड पे पहुँच गया. लेकिन सुधीर ने अपना हाथ नीलम के कंधों पर रख लिया. नीलम के मुँह से सिसकी की आवाज़ सुन कर मैं समझ गयी की अब वो नीलम की चूचियाँ दबा रहा था. अचानक सुधीर का हाथ मुझे टच करने लगा. मैने सोचा ग़लती से लग गया होगा. लेकिन धीरे धीरे वो मेरी पीठ सहलाने लगा और मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरने लगा. नीलम इससे बिल्कुल बेख़बर थी. मैं मारे डरके पसीना पसीना हो गयी और हिल ना सकी. अब सुधीर का साहस और बढ़ गया और उसने साइड से हाथ डाल कर मेरी उभरी हुई चूची को शर्ट के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया. मैं बिल्कुल बेबुस थी. उठ कर चली जाती तो नीलम को पता लग जाता. हिम्मत मानो जबाब दे चुकी थी. सुधीर ने इसका पूरा फ़ायदा उठाया. वो धीरे धीरे मेरी चूची सहलाने लगा. इतने में नीलम मुझसे बोली,“ कंचन पेशाब लगी है ज़रा बाथरूम जा कर आती हूँ.” मेरा कलेजा तो धक से रह गया. जैसे ही नीलम गयी सुधीर ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैने एकदम से हड़बड़ा के हाथ खींचने की कोशिश की, लेकिन सुधीर ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था. लंड काफ़ी गरम, मोटा और लोहे के समान सख़्त था. मैं रुनासि होके बोली
"सुधीर, तुम ये क्या कर रहे हो? मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं नीलम को सब बता दूँगी।" सुधीर मंजे हुए खिलाड़ी की तरह बोला,
“ मेरी जान तुम पर तो मैं मरता हूँ. तुमने मेरी रातों की नींद चुरा ली है. मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ.” यह कह कर वो मेरा हाथ अपने लंड पर रगड़ता रहा.
“ सुधीर तुम नीलम को धोका दे रहे हो. वो बेचारी तुमसे शादी करना चाहती है और तुम दूसरी लड़कियो के पीछे पड़े हो.”
"कांग-चान, मेरे प्रिय, तुम मेरे लिए अजनबी नहीं हो, तुम मेरे हो। मैंने नीलम से दोस्ती सिर्फ इसलिए की थी ताकि तुम्हें पकड़ सकूँ।"
"झूठ बोल रहे हो! नीलम ने तुम्हें अपना पूरा भरोसा सौंप दिया है। तुम्हें उस बेचारी लड़की को धोखा देने पर शर्म आनी चाहिए। कृपया अब मेरा हाथ छोड़ दो।"
इतने में नीलम वापस आ गयी. सुधीर ने झट से मेरा हाथ छोड़ दिया. मेरी लाचारी का फायेदा उठाने के कारण मैं बहुत गुस्से में थी, लेकिन ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द के खड़े लंड को हाथ लगाने के अनुभव से खुश भी थी. नीलम के बैठने के बाद सुधीर ने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया. नीलम ने उसका हाथ अपने कंधों से हटा कर अपनी टाँगों के बीच में रख दिया और सुधीर के लंड को फिर से सहलाने लगी. सुधीर भी नीलम की स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा. जैसे ही नीलम ने ज़ोर की सिसकी ली मैं समझ गयी कि सुधीर ने अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी है.