पहला प्यार – अनामिका

Romantic Stories
aries
Posts: 285
Joined: Mon Sep 16, 2024 5:48 am
Contact:

पहला प्यार – अनामिका

Post by aries »

चार साल पहले की बात है, जब मैं 9वीं कक्षा में थी। वह एक गर्मियों का दिन था, जब हमारे स्कूल में एक नया लड़का आया जिसका नाम रवि था। उसने हमारे स्कूल में उसी साल दाखिला लिया था, लेकिन हमारी कक्षाएं अलग थीं। मैं एक चुलबुली और मिलनसार लड़की थी, जो हर किसी से बातें करती थी, क्योंकि मुझे दोस्त बनाना बहुत पसंद था। रवि बेहद शांत और अंतर्मुखी था, हमेशा कोने में बैठा रहता, मानो उसे किसी से कोई मतलब नहीं था। मैंने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन वह सिर्फ छोटे-छोटे जवाब देकर चुप हो जाता। फिर मैंने भी ज्यादा ज़बरदस्ती नहीं की।

कुछ दिनों बाद, मुझे पता चला कि रवि मेरे घर के पास ही अपने चाचा-चाची के साथ रहता है। एक दिन, जब हम स्कूल से लौट रहे थे, मैंने सोचा कि हम साथ चलेंगे, लेकिन रवि हमेशा तेज़ी से आगे निकल जाता, जैसे वह मेरे साथ चलना ही नहीं चाहता था। यह देखकर मुझे थोड़ा अजीब लगा और कहीं न कहीं दुख भी हुआ।

कुछ दिन बाद, मैंने एक दिन ट्यूशन क्लास छोड़ दी। उसी दिन, रवि मेरे पास आया और पूछा कि मैं क्यों नहीं आई। मैंने कारण बताया, तो उसने कहा, "मैं भी अब नहीं जाऊँगा।" मैंने बस मुस्कुरा दिया और फिर से कभी उससे बात नहीं की। धीरे-धीरे हमारी बातें बंद हो गईं। एक दिन, उसके एक दोस्त ने मुझे बताया कि रवि मुझे पसंद करता है, लेकिन मैंने इसे मज़ाक समझा और गंभीरता से नहीं लिया। रवि ने भी इस बात से इनकार कर दिया था, इसलिए मैंने इसे जाने दिया।

समय बीतता गया, और मैंने एक नया ट्यूशन जॉइन किया जो मेरे घर से थोड़ा दूर था। उस ट्यूशन में रवि के सेक्शन के ही ज़्यादातर छात्र थे। उन्होंने मुझसे रवि के नाम पर मजाक करना शुरू कर दिया, जिससे मुझे बहुत बुरा लगने लगा। फिर, अचानक रवि भी उसी ट्यूशन में आने लगा। वह हमेशा मुझे देखता रहता था, उसकी नज़रों में कुछ अलग था। उसने कभी मुझे प्रपोज़ नहीं किया, लेकिन उसकी लगातार देखते रहने की आदत ने मुझे परेशान कर दिया। धीरे-धीरे मैंने उससे नफ़रत सी महसूस करने लगी। जब वह मेरे सामने आता, तो मैं और मेरी दोस्त उसके बारे में बुरा-भला कहने लगते।

फिर एक दिन, अमित नाम का एक लड़का मुझसे मिलने आया, और हम दोनों थोड़ी बातचीत करने लगे। जब भी रवि यह देखता, तो उसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलकता। बाद में मुझे पता चला कि हर दिन ट्यूशन के बाद, रवि अमित के बाहर इंतजार करता और उसे मुझसे बात करने से मना करता। यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने तय किया कि रवि से साफ़-साफ़ बात करूंगी।

अगले दिन, ट्यूशन के बाहर मैंने सबके सामने रवि को रोक लिया और पूछा, "तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?" वह पहले तो कुछ नहीं बोला, फिर धीरे से कहा, "तुम कारण जानती हो।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा प्यार और चिंता झलक रही थी। उस वक्त मेरे पास कहने को कुछ नहीं था। मैं चुपचाप वहां से चली गई।

कुछ दिन बाद, रवि मेरे पास आया और कहा कि उसे मुझसे कुछ बात करनी है। मैंने कहा, "बोलो।" उसने सीधे मेरी आंखों में देखा और कहा, "आई लव यू।" उस पल में मैं हक्का-बक्का रह गई, समझ नहीं पाई कि क्या जवाब दूं। गुस्से में मैंने उसे जाने को कहा। उस दिन के बाद, रवि हर रोज़ मुझे ऑटो स्टैंड तक पैदल छोड़ने लगा। वह मुझे मनाने की कोशिश करता रहा कि वह सच में मुझसे प्यार करता है, लेकिन मैंने साफ कहा, "हम सिर्फ दोस्त हो सकते हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।" उसने सहमति जताई और एक चॉकलेट दी। मैंने पहले मना किया, लेकिन उसने कहा, "दोस्त होने के नाते ले लो।" मैं हंस पड़ी और चॉकलेट ले ली।

उस दिन ऑटो में, मैं पीछे की सीट पर बैठी थी और रवि ड्राइवर के पास वाली सीट पर। मिरर से मैं उसे साफ देख पा रही थी और वह लगातार मुझे देख रहा था। इस बार उसका देखना मुझे अजीब नहीं लगा, बल्कि मेरे दिल में कुछ हलचल सी होने लगी। शायद उसकी नज़रें अब मुझे खलने के बजाय कुछ खास लगने लगी थीं।

फिर 2012 का नया साल आया। रवि ने कहा था कि वह मेरे घर आएगा, और मैं उसका इंतजार कर रही थी। अगर कोई और होता, तो शायद मुझे गुस्सा आता, लेकिन न जाने क्यों, मैं उसका इंतजार कर रही थी। वह आया, मुझे नए साल की शुभकामनाएं दी और कुछ चॉकलेट्स, एक ग्रीटिंग कार्ड और एक ब्रेसलेट दिया। हालांकि मैंने वह ब्रेसलेट अगले ही दिन उसे लौटा दिया।

कुछ दिनों बाद, एक लड़के ने मुझसे कुछ ऐसा कहा जिससे मैं बहुत रो पड़ी। रवि को यह सहन नहीं हुआ और उसने उस लड़के से लड़ाई कर ली। रवि ऐसा लड़का नहीं था जो किसी के सामने झुके, लेकिन मेरे कहने पर उसने सबके सामने उस लड़के से माफी मांगी। मुझे यह बहुत अच्छा लगा। वह मेरी हर बात मानता था। फिर 12 फरवरी को मैंने उसे पहली बार कॉल की। वह बहुत खुश था, और उसके बाद हम घंटों बात करने लगे, चाहे वह मैसेज हो या फोन कॉल।

लेकिन, इस सबके चलते उसकी पढ़ाई पर असर पड़ने लगा। उसका रिजल्ट खराब हो गया, क्योंकि वह पढ़ाई के समय भी मेरे कॉल और मैसेज का इंतजार करता रहता था, या फिर मेरे बारे में ही सोचता रहता था। जब उसका रिजल्ट खराब आया, तो उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया। मैं उसे बार-बार कॉल करती, लेकिन वह कभी मेरी कॉल नहीं उठाता। मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगी। दोस्तों ने कहा कि यह प्यार है, शायद था भी, लेकिन मैं इसे मानने को तैयार नहीं थी।

बीस दिन ऐसे ही बीत गए। मैं उसकी आवाज़ सुनना चाहती थी, उससे बात करना चाहती थी, लेकिन कैसे? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर एक रात मैंने अनजान नंबर से उसे कॉल किया, और उसने कॉल उठा ली। मैंने गुस्से में उसे डांटते हुए पूछा, "तुम्हें इतनी बेचैनी क्यों हो रही है?" उसने हंसते हुए कहा, "तुम्हें स्कूल आने को कह रही थी, कल आ जाओ।" पहले तो वह मना करने लगा, लेकिन मैंने कहा, "चुपचाप आ जाना, कुछ नहीं होगा।"

और उसके बाद क्या हुआ? क्या वह आया या नहीं? क्या हम दोबारा मिले या नहीं? यह जानने के लिए आपको मेरी अगली कहानी का इंतजार करना होगा…

Who is online

Users browsing this forum: No registered users and 2 guests