चेतावनी ...........दोस्तो ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है
"खून का असर"--1
लेखक ==RKS
ले बिरजू मार सुत्टा, राजू अपने भाई बिरजू को बीड़ी देते हुए, आज तो नशा ही नही आ रहा है
और देसी दारू की बोतल जो कि आधी हो चुकी थी को उठाकर मूह से लगा कर गटकने लगता है,
रात के सन्नाटे मे दोनो भाई गाँव की एक पुलिया जो उनके घर से लगभग 200 मीटर की दूरी
पर थी वहाँ बैठ कर दारू का मज़ा ले रहे थे, और साथ मे बीड़ी के लंबे लंबे कस
मारते जा रहे थे, फिर राजू बोतल बिरजू को दे देता है और उससे बीड़ी ले कर कस मारने लगता
है, उनका घर उस पुलिया से साफ नज़र आता है, उनका घर खप्रेल वाला कच्चा मकान है
जिस पर एक बड़ा सा आँगन है और फिर एक पुराने जमाने का बड़ा सा दरवाजा है जो कि उन्हे
उस पुलिया से खुला दिखाई पड़ रहा था, दरवाजे के बाहर एक रास्ता है जिसे पूरा गाँव पास की
नदी पर जाने के लिए यूज़ करता है उस नदी का घाट भी राजू और बिरजू के घर से 200 मीटर की
दूरी पर ही है, उनका यह घर नदी की तरफ का आख़िरी मकान है, और जिस पुलिया पर ये दोनो
बैठे थे उसके पीछे की ओर आम का काफ़ी बड़ा बगीचा है, और उस बगीचे के पीछे
से थोड़ा बहुत जंगल शुरू हो जाता है, गाँव काफ़ी छ्होटा है लगभग 40-50 मकान बने
होंगे, बिरजू की उमर लगभग 25 साल के करीब है और राजू उससे 2 साल छोटा है लेकिन दोनो
भाई बचपन से ही दोस्तो की तरह रहते है और वह ऐसे लगते है जैसे जुड़वा हो दोनो हत्ते
कत्ते और मजबूत कद काठी के है,
यार बिरजू चूत मारने का इतना मन करता है लेकिन कोई चूत का जुगाड़ ही नही बनता है, राजू हाँ
यार बिरजू उस दिन थोड़े पैसे जोड़कर चूत के जुगाड़ मे शहर मे रंडी बाजार भी हो आए
लेकिन भोसड़ी की ने हम दोनो भाई से पैसा ले लिया और दो मिनिट मे ही बोल दिया कि चल हट रे
हो गया, मेरा तो लंड भी ठीक से खड़ा नही हुआ था और उस कुतिया ने दो दो कॉंडम मेरे
लंड पर लगा दिए थे, भला तू ही बता ऐसे दो मिनट मे क्या चुदाई हो पाती है, राजू यार
चोदने के लिए तो हमारे से मोटे लंड को कम से कम दो दो घंटे तो मिलना चाहिए, तभी
हम तृप्त हो पाएगे, बिरजू हाँ यार तू ठीक कहता है मैं जब भी सुधिया काकी की मोटी गंद को
सोच कर मूठ मारता हू तो कम से कम आधा घंटा तो काकी की मोटी मोटी गंद को सोच
सोच कर मुठियाने मे लग ही जाता है तब जाकर मेरा माल बाहर निकलता है, और तुझे भी तो
इतना ही टाइम लगता है ना, हाँ यार तूने कहाँ सुधिया काकी की बात कर दी मेरा तो लंड कड़क होने
लग गया है और लूँगी के उपर से दोनो भाई अपने अपने लंड को मसल्ने लगते है, सुधिया
काकी भोसड़ी की 50 के लगभग की होगी पर साली के मोटे चुचे और फैले हुए भारी भारी
चूतड़ देख कर तो ऐसा लगता है कि सीधे जाकर इसकी मोटी गंद मे लंड पेल दू, और दारू की
बोतल से बची हुई दारू गटकते हुए दोनो भाई अपना अपना लॅंड मसल रहे थे, यार राजू मेरा
लॅंड तो मोटी गंद का ही दीवाना है, बिरजू अरे मेरा भी यही हाल है कि मोटे मोटे चूतड़ मिल
जाए तो फाड़ कर रख दू, मोटे चूतादो को देख कर तो मेरे मूह से लार टपकने लगती है,
इन दोनो भाई का यह रोज का काम था दिनभर अपने घर के बाहर लूँगी पहनकर बैठ जाते
थे और अपने गाँव की सारी नदी की ओर जाने वाली औरतो के मटकते चूतड़ देख देख कर अपना
लंड मसल्ते बैठे रहते और जब कोई औरत नही दिखाई देती तो पड़ोस मे रहने वाली सुधिया
काकी के आँगन की ओर नज़र गढ़ा कर उसके आने जाने का इंतजार करने लगते और सारे गाँव की
औरतो के गदराए अंगो की चर्चा के अलावा इन दोनो भाइयो के पास कोई काम नही था, इतफाक
से दोनो के विचार भी बिल्कुल एक जैसे थे, शायद ये इनके खून का असर था,
सुधिया काकी इन दोनो के सगे ताऊ (अंकल) की औरत थी लेकिन सुधिया काकी, इन दोनो की मा
कमला की लड़ाई काफ़ी पुराने समय से थी जिसके चलते दोनो परिवार के लोगो का आपस मे
बोलचाल नही था, इन दोनो की मा कमला थोड़ी मोटी और भरे भरे बदन की एक 45 साल की औरत
थी, उसके दूध और मोटे मोटे चूतादो के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत के दूध
और चूतड़ नही थे, हण सुधिया काकी ज़रूर थोड़ा बहुत टक्कर ज़रूर देती थी लेकिन सुधिया
काकी अगर 19 थी तो कमला 20 थी, कमला का पति मनोहर लाल जो कि दिन और रात शराब के नशे
मे ही रहता था और उसका अधिकतर समय दारू के ठेके पर ही बीत जाता था, मनोहर लाल के
बारे मे गाँव मे एक बात फेमस थी कि काफ़ी साल पहले नदी के किनारे के एक पेड़ के पीछे
अपनी मा गोमती जो की अब मर चुकी है को चोद रहा था जिसे गाँव के कुछ लोगो ने देख लिया
था. कमला अपने बेटो के साथ पास के जंगल से लकड़िया काट कर अपना घर चलाती थी, वह रोज
सुबह सुबह घर का सारा काम करके दोपहर का खाना बाँध कर अपने साथ ही जंगल ले जाती
थी फिर वाहा दोनो बेटे लकड़िया काटने लगते और कमला उन लकड़ियो के तीन गथ्थे बना लेती थी
रात होने पर ये लोग लकड़ियां लेकर घर वापस आ जाते हैं। कमला की एक बेटी है, जो राजू से दो साल छोटी है। उसने तीन महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया है, इसलिए वह इस समय ससुराल, सुधिया में रह रही है।
चाची का केवल एक बेटा है, जिसका नाम मदन है। वह शादीशुदा है और शहर की एक फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता है। मदन पहले एक मजदूर था, और उसकी पत्नी संध्या अपने सास-ससुर के साथ गाँव में रहती है।
थी वह करीब 28 साल की उमर की रही होगी
इनके घर के सामने ही एक हॅंडपंप था जो कि कई साल पहले इनके बाप मनोहर और काका
किशन लाल (सुधिया का पति) ने मिलकर लगवाया था सो इनकी लड़ाई होने के बाद भी दोनो घर की
औरते उसी से पानी भरती थी और वही खुले मे नहा भी लेती थी, और आसपास की कुछ औरते जिनकी
पटरी या तो सुधिया या कमला से खाती थी आकर वही नहा लेती थी. राजू और बिरजू अपने घर के
सामने लूँगी पहने कुर्सी लगाकर सुबह सुबह वही बैठकर घर के सामने से नदी की ओर
जाती औरतो या हॅंडपंप पर नहती औरतो को देख देख कर बस चूत लंड की बाते करते और
लूँगी के उपर से अपना लंड मसलते रहते थे, और दोपहर होने पर अपनी मा के साथ जंगल
चले जाते और शाम को आकर फिर घर के सामने कुर्सी डाल कर बैठ जाते और जब रात हो जाती तो
दोनो भाई पुलिया पर जाकर दारू पीने लगते और जब रात के सन्नाटे मे खाना खाने के लिए
आवाज़ लगाती तो दोनो उठ कर घर की ओर आ जाते थे बस इसी तरह इनकी जिंदगी आगे बढ़ रही
थी.
सुबह सुबह दोनो भाई घर के बाहर बैठे बैठे यार राजू देख संध्या भाभी लाल घाघरा चोली मे क्या मस्त लग रही, बिरजू यार इसकी चूत भी मस्त लाल होगी, मदन तो शहर मे लंड पकड़ता रहता है, और यह बेचारी यहाँ लंड के लिए तरसती रहती है, यार बिरजू अपना लंड मसल्ते हुए इसकी ही चूत मारने को मिल जाए तो हमारा भी काम बन जाएगा और इस बेचारी की चूत को भी ठंडक मिल जाएगी और यह बेचहरी हमे दुआए भी देगी की कोई तो इसकी चूत के बारे मे सोचता है,
गाँव मे सभी औरते ज़्यादातर लहगा और चोली ही पहनती थी और आप तो जानते है पॅंटी या ब्रा गाँव की संस्कृति मे नही है, संध्या पानी भरने के लिए हॅंडपंप के पास आ जाती है और दोनो भाई उसकी मोटी मोटी चूचियाँ और उसके चिकने पेट और नाभि को घूर घूर कर अपना लंड मसलने लगते है, संध्या ने अपना घाघरा नाभि के काफ़ी नीचे बाँधा हुआ था जिससे उसकी नाभि और पेट ऐसा नज़र आ रहा था जैसे कुवारि लोंदियो का पेट नज़र आता है उनकी कुर्सी से हॅंडपंप लगभग 20 मीटर की दूरी पर था, यार बिरजू इसको एक बार अपना काला और मोटा लंड निकालकर दिखा दू क्या साली अभी पानी भरते भरते पानी पानी हो जाएगी, देख क्या मस्तानी चुचिया उपर नीचे होती है जब ये हॅंडपंप चलाती है, राजू हंसते हुए बिरजू अगर इसको हम यह बता दे कि जिस हॅंडपंप के डंडे को इसने पकड़ रखा है वह बिल्कुल हमारे लंड की मोटाई का है तो यह डर के मारे हॅंडपंप का डंडा छ्चोड़ देगी और फिर कभी पानी भरने नही आएगी, बिरजू हंसते हुए हा हा हा तू ठीक कहता है राजू इतना मोटा डंडा तो सुधिया काकी ही पकड़ सकती है पर भोसड़ी की जाने कहाँ गंद मरवा रही है नज़र नही आ रही है,
तभी संध्या पानी की बाल्टी लेकर अपने आगन मे चली जाती है और फिर इतने मे सुधिया काकी अपने मोटे मोटे चूतड़ मतकते हुए बाहर बरामदे की झाड़ू लगाने लगती है, सुधिया काकी के मोटे मोटे चूतड़ देख कर राजू और बिरजू का लंड झटके मारने लगा हे मेरी रानी कितनी मोटी और चौड़ी गंद है तेरी, हाय बिरजू एक बार इस घोड़ी की मोटी गंद मिल जाए तो साली की गंद मार मार कर लाल कर देंगे, तभी सुधिया काकी उनकी ओर मूह करके झाड़ू लगाने लगती है जिससे उसके मोटे मोटे थन आधे से ज़्यादा उसकी चोली से बाहर गिरे आ रहे थे, और उसका चर्बी वाला लटका हुआ पेट और गहरी नाभि और पेट के मसल उठाव को देख कर दोनो भाई का हाथ अपने लंड पर तेज तेज चलाने लगता है, राजू सुधिया काकी नंगी कैसी लगती होगी रे मेरा तो यह सोच सोच कर पानी ना निकल जाए,
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