Thriller -इंतकाम की आग compleet

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Thriller -इंतकाम की आग compleet

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इंतकाम की आग --1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ . अब ये तो आप ही बताएँगे कि कहानी कैसी लगी . चलिए अब देर ना करते हुए कहानी पर चलते हैं .

घना अंधेरा और उपर से उसमे जौरो से बरसाती बारिश. सारा आसमान झींगुरों की ‘कीरर्र’ आवाज़ से गूँज रहा था. एक बंगले के बगल मे खड़े एक विशालकाय पेड़ पर एक बारिश से भीगा हुआ उल्लू बैठा हुआ था. उसकी इधर उधर दौड़ती नज़र आख़िर सामने बंगले की एक खिड़की पर जाकर रुकी. वह बंगले की एकलौती ऐसी खिड़की थी कि जिस से अंदर से बाहर रोशनी आ रही थी.

घर मे उस खिड़की से दिख रही वह जलती हुई लाइट छोड़ कर सारे लाइट्स बंद थे. अचानक वहाँ उस खिड़की के पास आसरे के लिए बैठा कबूतरों का एक झुंड वहाँ से फड़फड़ाता हुआ उड़ गया. शायद वहाँ उन कबूतरों को कोई अद्रिश्य शक्ति का अस्तित्व महसूस हुआ होगा, खिड़की के काँच सफेद रंग की होने से बाहर से अंदर का कुछ नही दिख रहा था. सचमुच वहाँ कोई अद्रिश्य शक्ति पहुच गयी थी?... और अगर पहुचि थी तो क्या उसे अंदर जाना था….? लेकिन खिड़की तो अंदर से बंद थी.

बेडरूम मे बेड पर कोई सोया हुआ था. उस बेड पर सोए साए ने अपनी करवट बदली और उसका चेहरा उस तरफ हो गया. इसलिए वह कौन था यह पहचान ना मुश्किल था. बेड के बगल मे एक चश्मा रखा हुया था. शायद जो भी कोई सोया हुआ था उसने सोने से पहले अपना चश्मा निकाल कर बगल मे रख दिया था. बेडरूम मे सब तरफ दारू की बॉटल, दारू के ग्लास, न्यूज़ पेपर्स, मॅगज़ीन्स एट्सेटरा समान इधर उधर फैला हुआ था.

बेडरूम का दरवाजा अंदर से बंद था और उसे अंदर से कुण्डी लगाई हुई थी. बेडरूम मे सिर्फ़ एक ही खिड़की थी और वह भी अंदर से बंद थी – क्यों कि वह एक एसी रूम था. जो साया बेड पर सोया था उसने फिरसे एकबार अपनी करवट बदली और अब उस सोए हुए साए का चेहरा दिखने लगा.

चंदन, उम्र लगभग 25-26, पतला शरीर, चेहरे पर कहीं कहीं छोटे छोटे दाढ़ी के बाल उगे हुए, आँखों के आस पास चश्मे की वजह से बने काले गोल गोल धब्बे बने हुए थे.

चंदन एक सपना देख रहा था और सपने मे वो अपने प्यार को मतलब शालिनी को देख रहा था…. शालिनी उसकी कॉलेज की फ्रेंड थी... वो तो कब का उसके प्यार मे पड़ गया था... वो दोनो उसके बेडरूम मे बैठे थे…. और शालिनी उसको बार बार बात बात पर किस कर रही थी… चंदन तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था. उसने शालिनी को जैसे लपक लिया. नीचे बेड पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा. शालिनी बदहवास हो चुकी थी. उसने चंदन का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होंठो को अपने होठों में दबा लिया. चंदन के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर ढा रहे थे. एक एक करके वह दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे. शालिनी अब उसकी छाती सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी थी..ओह फक मी प्लीज़ फक मी... आइ कॅंट वेट. आइ कॅंट लिव विदाउट यू जान.

एक एक करके जब चंदन ने शालिनी का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया. स्वर्ग से उतरी मेनका जैसा जिस्म... सुडौल चुचियाँ... एक दम तनी हुई. सुरहिदार चिकना पेट और मांसल जांघें... चूत पर एक भी बाल नही था. उसकी चूत एक छोटी सी मछली जैसी सुंदर लग रही थी. उसने दोनों चूंचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी चूत पर मुँह लगा दिया. शालिनी कराही… और साँसे इतनी तेज़ चल रही थी जैसे अभी उखड़ जाएँगी. पहले पहल तो उसे अजीब सा लगा अपनी चूत चत्वाते हुए पर बाद में वह खुद अपनी गांद उछाल उछाल कर उसकी जीभ को अपने योनि रस का स्वाद देने लगी.

चंदन ने अपनी पॅंट उतार फेंकी और अपना 8.5 इंचस लंबा और करीब 2 इंचस मोटा लंड उसके मुँह में देने लगा. पर शालिनी तो किसी जल्दबाज़ी में थी. बोली,"प्लीज़ घुसा दो ना मेरी चूत में प्लीज़. चंदन कहाँ मान ने वाला था उसको भी यही चाहिए था.और उसने शालिनी की टाँगों को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड का सूपड़ा शालिनी की चूत पर रखकर दबाव डाला. पर वो तो बिल्कुल टाइट थी. चंदन ने उसकी योनि रस के साथ ही अपना थूक लगाया और दोबारा ट्राइ किया. शालिनी चिहुनक उठी. सूपड़ा योनि के अंदर था और शालिनी की हालत आ बैल मुझे मार वाली हो रही थी.

उसने अपने को पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन उसका सिर बेड के उपरी सिरे से जा लगा था. शालिनी बोली,"प्लीज़ जान एक बार निकाल लो. फिर कभी करेंगे. पर चंदन ने अभी नही तो कभी नही वाले अंदाज में एक धक्का लगाया और आधा लंड उसकी चूत में घुस गया.

शालिनी की चीख को उसने अपने होटो से दबा दिया. कुच्छ देर इसी हालत में रहने के बाद जब शालिनी पर मस्ती सवार हुई तो पूच्छो मत. उसने बेहयाई की सारी हदें पार कर दी. वा सिसकारी लेते हुए बड़बड़ा रही थी. "हाई रे, मेरी चूत...मज़ा दे दिया... कब से तेरे लंड... की .. प .. प्यासी थी. चोद दे जान मुझे... आअह. आअह कभी मत निकालना इसको ... मेरी चू...त आह उधर चंदन का भी यही हाल था.

उसकी तो जैसे भगवान ने सुन ली. जन्नत सी मिल गयी थी उसको.. उच्छल उच्छल कर वो उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था कि अचानक शालिनी ने ज़ोर से अपनी टांगे भींच ली. उसका सारा बदन अकड़ सा गया था. उसने उपर उठकर चंदन को ज़ोर से पकड़ लिया. उसकी चूत पानी छ्चोड़ती ही जा रही थी. उससे चंदन का काम आसान हो गया. अब वो और तेज़ी से धक्के लगा रहा था.

पर अब शालिनी गिडगिडाने लगी. प्लीज़ अब निकाल लो. सहन नही होता. थोड़ी देर के लिए चंदन रुक गया और शालिनी के होंठों और चूंचियों को चूसने लगा. वो एक बार फिर अपने चूतड़ उछाल्ने लगी. इस बार उसने शालिनी को उल्टा लिटा लिया. शालिनी की गांद बेड के किनारे थी और उसकी मनमोहक चूत बड़ी प्यारी लग रही थी.

शालिनी के घुटने ज़मीन पर थे और मुँह बेड की और. इस पोज़ में जब चंदन ने अपना लंड शालिनी की चूत में डाला तो एक अलग ही आनंद प्राप्त हुआ. अब शालिनी को हिलने का अवसर नही मिल रहा था. क्यूंकी चंदन ने उसको कस के पकड़ रखा था. पर मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी. हर पल उसे जन्नत तक लेकर जा रहा था. इस बार करीब 20 मिनिट बाद वो दोनों एक साथ झाडे और चंदन उसके उपर ढेर हो गया…..

वह कुछ तो था जो धीरे धीरे चंदन के पास जाने लगा.

अचानक नींद मे भी चंदन को आहट हुई और वह हड़बड़ाकर जाग गया. उसके सामने जो भी था वह उसपर हमला करने के लिए तैय्यार होने से उसके चेहरे पर डर झलक रहा था, पूरा बदन पसीना पसीना हुआ था. वह अपना बचाव करने के लिए उठने लगा. लेकिन वह कुछ करे इसके पहले ही उसने उसपर, अपने शिकार पर हमला बोल दिया था.

पूरे आसमान मे चंदन की एक बड़ी, दर्दनाक, असहाय चीख गूँजी और फिर सब तरफ फिर से सन्नाटा छा गया… ठीक पहले जैसा….

सुबह सुबह रास्ते पर लोगों की अपने अपने काम पर जाने की जल्दी चल रही थी. इसलिए रास्ते पर काफ़ी चहल-पहल थी. ऐसे मे अचानक एक पोलीस की गाड़ी उस भीड़ से दौड़ने लगी. आस-पास का मौहाल पोलीस के गाड़ी के साइरन की वजह से गंभीर हो गया. रास्ते पर चल रहे लोग तुरंत उस गाड़ी को रास्ता दे रहे थे. जो पैदल चल रहे थे वे उत्सुकता से और अपने डरे हुए चेहरे से उस जाती हुई गाड़ी की तरफ मूड मूड कर देख रहे थे. वह गाड़ी निकल जाने के बाद थोड़ी देर मौहाल तंग रहा और फिर फिर से पहले जैसा नौरमल हो गया.

एक पोलीस की फ़ौरेंसिक टीम मेंबर बेडरूम के खुले दरवाजे के पास कुछ इन्वेस्टिगेशन कर रहा था. वह उसके पास जो बड़ा लेंस था. उसमे से ज़मीन पर कुछ मिलता है क्या यह ढूँढ रहा था. उतने मे एक अनुशाशन मे चल रहे जूतों का ‘टक टक’ ऐसा आवाज़ आ गया. वह इन्वेस्टिगेशन करने वाला पलट कर देखने के पहले ही उसे कड़े स्वर मे पूछा हुआ सवाल सुनाई दिया “बॉडी किधर है….?”

“सर इधर अंदर…” वह टीम मेंबर अदब के साथ खड़ा होता हुआ बोला.

इंस्पेक्टर राज शर्मा, उम्र साधारण 39 के आस पास, कड़ा अनुशाशण, लंबा कद, कसा हुआ शरीर, उस टीम मेंबर के दिखाए रास्ते से अंदर गया.

इंस्पेक्टर राज शर्मा जब बेडरूम मे घुस गया तब उसे चंदन का शव बेड पर पड़ा हुआ मिल गया. उसकी आँखें बाहर आई हुई और गर्दन एक तरफ ढूलक गयी हुई थी. बेड पर सब तरफ खून ही खून फैला हुआ था.

उसका गला कटा हुआ था. बेड की स्थिति से ऐसा लग रहा था कि मरने के पहले चंदन काफ़ी तडपा होगा. इंस्पेक्टर राज शर्मा ने बेडरूम मे चारो तरफ अपनी नज़र दौड़ाई.

फ़ौरेंसिक टीम बेडरूम मे भी तफ़तीश कर रही थी. उनमे से एक कोने मे ब्रश से कुछ सॉफ कर ने जैसा कुछ कर रहा था तो दूसरा कमरे मे अपने कॅमरा से तस्वीरे लेने मे व्यस्त था.

एक फ़ौरेंसिक टीम मेंबर ने इंस्पेक्टर राज शर्मा को जानकारी दी –

“सर मरनेवाले का नाम चंदन है”

“फिंगर प्रिंट्स वाईगेरह कुछ मिला क्या…?”

“नही कम से कम अब तक तो कुछ नही मिला…”

इंस्पेक्टर राज शर्मा ने फोटोग्राफर से कहा, "ध्यान रखना, कोई भी चीज़ छूटने न पाए..."

"जी सर..." फोटोग्राफर ने शालीनता से कहा।

अचानक, राज शर्मा का ध्यान एक अजीब और अप्रत्याशित चीज़ की ओर गया।

वह बेडरूम के दरवाजे के पास गए। दरवाजे का कुंडा और उसके आसपास का हिस्सा टूटा हुआ था।

"इसका मतलब है कि हत्यारा शायद ज़बरदस्ती अंदर घुसा था..." राज शर्मा ने कहा।

उसका एक टीम मेंबर आगे आया, “नही सर, असल मे यह दरवाज़ा मैने तोड़ा… क्यों कि हम जब यहाँ पहुचे तब दरवाज़ा अंदर से बंद था….” पवन, लगभग 28 के आस पास, छोटा कद, मोटा शरीर.

“तुमने तोड़ा….?” राज शर्मा ने आस्चर्य से कहा.

“यस सर….” पवन ने कहा.

“क्या फिर से अपने पहले के धन्दे शुरू तो नही किए ….?” राज शर्मा ने मज़ाक मे लेकिन चेहरे पर वैसा कुछ ना दिखाते हुए कहा. (क्योंकि पवन तो अपना दया (सीआइडी वाला) जैसा ही था जो दरवाज़ा ना खुले उसे वो तोड़ कर ही अंदर दाखिल हो जाता था) .

“हाँ सर… मतलब नही सर….” पवन हड़बड़ाते हुए बोला.

राज शर्मा ने पलट कर एकबार फिर से कमरे मे अपनी पैनी नज़र दौड़ाई, खास कर खिड़कियों की तरफ देखा. बेडरूम मे एक ही खिड़की थी और वह भी अंदर से बंद थी. वह बंद रहना लाजमी था क्यों कि रूम एसी था.

“अगर दरवाज़ा अंदर से बंद था…. और खिड़की भी अंदर से बंद थी….तो फिर क़ातिल कमरे मे कैसे आया….”

सब लोग आस्चर्य से एक दूसरे की तरफ देखने लगे.

“और सब से महत्वपूर्ण बात कि वह अंदर आने के बाद बाहर कैसे गया….?” पवन ने कहा.

इंस्पेक्टर राज शर्मा ने उसकी तरफ सिर्फ़ घूर कर देखा.

अचानक सब का ख़याल एक इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर ने अपनी तरफ खींचा. उसको बेड के आस पास कुछ बालों के टुकड़े मिले थे.

“बाल…? उनको ठीक से सील कर आगे के इन्वेस्टिगेशन के लिए लॅब मे भेजो…” राज शर्मा ने आदेश दिया.

सुबह 10 बजे इंस्पेक्टर राज शर्मा अपने ऑफीस मे बैठा था. उतने मे एक ऑफीसर वहाँ आ गया. उसने पोस्टमोर्टिम के काग़ज़ात राज शर्मा के हाथ मे थमा दिए. जब राज शर्मा वह काग़ज़ात उलट पुलट कर देख रहा था वह ऑफीसर उसके बगल मे बैठकर राज शर्मा को इन्वेस्टिगेशन के बारे मे और पोस्टमोर्टिम के बारे मे जानकारी देने लगा.

क्रमशः…………………..


Last bumped by Anonymous on Thu Sep 26, 2024 9:32 am.

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