मुंबई की एक व्यस्त सड़क पर, अविक अपनी जीप चला रहा था, मन में एक राज छिपाए। उसका लक्ष्य एक खुशबू से भरा छोटा बाजार था, जहाँ के फूल हमेशा उसे प्रेरणा और हिम्मत देते थे।
“तू कहाँ जा रहा है?” सह-चालक सीट पर बैठे आदित्य ने पूछा, अविक के चेहरे पर खामोशी देखकर।
“मुझे कुछ फूल खरीदने हैं,” अविक ने जवाब दिया, उसकी आँखों में उम्मीद की चमक थी।
वे बाजार पहुँचे, जहाँ हर दिशा में रंग-बिरंगे फूल धूप में खिलखिला रहे थे। अविक की नजरें एक लड़की पर ठहर गईं, जिसका नाम वीरा था। वह ध्यान से फूलों को पानी दे रही थी, उसके चेहरे पर मीठी मुस्कान थी। उसकी मासूमियत ने अविक का दिल धड़कने लगा।
“नमस्ते!” अविक ने आगे बढ़कर कहा, हिम्मत जुटाकर, “ये फूल बहुत सुंदर हैं, क्या आप यहाँ की फूलवाली हैं?”
वीरा ने सिर उठाया और उसे देखा, उसकी आँखों में आश्चर्य और जिज्ञासा थी। “हाँ, मैं हर दिन यहाँ आती हूँ उन्हें देखभाल करने। आपको कौन सा फूल पसंद है?”
“मुझे सबसे सुंदर एक टोकरी चाहिए,” अविक ने मुस्कुराते हुए कहा, मन में तय कर लिया कि वह ये फूल अपनी पसंदीदा लड़की, मीरा को देगा।
वीरा ने फूलों को चुनना शुरू किया, सावधानी से विभिन्न रंगों के फूलों को टोकरी में रख रही थी। हर बार जब वह एक फूल चुनती, अविक कल्पना करता कि मीरा जब ये फूल देखेगी, तो उसका चेहरा कैसा होगा—वह आश्चर्य और खुशी।
“कुल मिलाकर 500 रुपए हुए,” वीरा ने कहा, टोकरी अविक की ओर बढ़ाते हुए।
अविक ने अपनी जेब से पैसे निकाले, लेकिन पाया कि उसके पास केवल 400 रुपए हैं। उसने माथा सिकोड़कर कहा, “माफ करना, मेरे पास सिर्फ 400 रुपए हैं।”
वीरा ने उसे देखा, उसकी आँखों में समझदारी थी। “अगर आपको ये फूल सच में चाहिए, तो मैं आपको डिस्काउंट दे सकती हूँ।”
“क्या सच में?” अविक ने हैरानी से पूछा।
“हाँ, मुझे विश्वास है कि ये फूल आपके दोस्त को खुशी देंगे,” वीरा ने मुस्कुराते हुए कहा।
उस क्षण में, अविक ने एक खास संबंध महसूस किया। वह सिर्फ फूल खरीदने नहीं आया था, बल्कि वह वीरा के साथ एक अनकही डोर बना रहा था। उसके मन में उत्साह उमड़ आया, “धन्यवाद! मैं इन्हें संजीदगी से रखूँगा।”
उसने 400 रुपए वीरा को दिए, और सावधानी से टोकरी ले ली। उन खूबसूरत फूलों को देखकर, उसके दिल में उम्मीद और ख़ुशी थी।
“आपको शुभकामनाएँ!” वीरा ने हाथ हिलाते हुए अलविदा कहा, उसके चेहरे पर अब भी चमकती मुस्कान थी। उसकी मासूम मुस्कान अविक के दिल में गहरी छाप छोड़ गई।
जब अविक जीप के पास लौटा, तो आदित्य उसका इंतजार कर रहा था। “तूने क्या खरीदा?” आदित्य ने जिज्ञासा से पूछा।
“एक टोकरी फूल, जिसे मैं अपनी दोस्त मीरा को देने वाला हूँ,” अविक ने कहा, चेहरे पर खुशी की मुस्कान के साथ।
“वह जरूर खुश होगी,” आदित्य ने सहमति में सिर हिलाया, “तू उसे प्रपोज कैसे करेगा?”
“मैं इन फूलों के माध्यम से अपने जज़्बात ज़ाहिर करना चाहता हूँ,” अविक ने कहा, “मैं हमेशा उसे अपनी भावनाएँ बताना चाहता था, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा सका।”
दोनों घर लौटते समय, सूरज की किरणें पत्तों के बीच से झाँकती थीं, जिससे कार में एक गर्माहट भर गई थी। अविक के मन में उम्मीदें थीं, उसे पता था कि आज उसका खास दिन है।
घर पहुँचने पर, उसने सावधानी से टोकरी को मेज पर रखा और फूलों को हलके से छुआ। फिर उसने अपना फोन उठाया और मीरा का नंबर डायल किया।
“हाय, मीरा! मेरे पास तुम्हारे लिए एक खास तोहफा है, क्या तुम फुर्सत में हो?”
मीरा खुशी-खुशी आई। कुछ मिनटों बाद, जब वह उसके दरवाजे पर पहुँची और मेज पर रखे फूल देखे, तो उसकी आँखें खुली रह गईं। “वाह! ये फूल कितने सुंदर हैं!”
“ये तुम्हारे लिए हैं,” अविक ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं हमेशा तुम्हें बताना चाहता था कि मैं तुम्हारे लिए क्या महसूस करता हूँ।”
मीरा की गालें गुलाबी हो गईं, उसकी आँखों में आंसुओं की चमक थी। “धन्यवाद, अविक। यह सच में सबसे खूबसूरत तोहफा है जो मैंने कभी पाया है।”
दोनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा, उस क्षण में उनके बीच एक अजीब सी समझ और संबंध बन गया। फूलों ने उनके बीच की मासूम प्रेम कहानी को गवाही दी, और भविष्य और भी सुंदर हो गया।
कहानी अभी भी जारी है...
फूलों की खामोशियाँ
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फूलों की खामोशियाँ
Deleted by aries on Fri Sep 27, 2024 3:15 am
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