by Guest » Fri Sep 06, 2024 10:58 am
ससुराल में सुहागरात --3
गतान्क से आगे............……………………………….
मैं मस्ती मे बड़बड़ाने लगा. “हां डॉली, हां.. शाबाश.. बहुत अच्छा चूस रही हो, ..और अंदर लेकर चूसो.” डॉली और तेज़ी से लंड को मूह के अंदर बाहर करने लगी. मैं समझ गया वो कितनी प्यासी होगी.मैं मस्ती मे पागल होने लगा. मैने उसकी स्कर्ट और चड्धी दोनो को एक साथ खींच कर टाँगो से बाहर निकाल कर अपनी साली को पूरी तरह नंगी कर दिया और फिर उसकी टाँगो को फैला कर उसकी चूत को देखने लगा. वाह! क्या चूत थी, बिल्कुल मक्खन की तरह चिकनी और मुलायम. उसकी चूत पर झांन्टो का नामो निशान नही था.लगता था कल कि चुदाई देख कर वो मतवाली हो चुकी थी ओर अपनी चूत को नहाते वक्त ही क्लीन की होगी. मैने अपना चेहरा उसकी जाँघो के बीच घुसा दिया और उसकी नन्ही सी बुर पर अपनी जीभ फेरने लगा. चूत पर मेरी जीभ की रगड़ से डॉली का शरीर गनगना गया. उसका जिस्म मस्ती मे कापने लगा. वह बोल उठी. “हाय जीजू…. ये आप क्या कर रहे है… मेरी चूत क्यो चाट रहे है…आह… मैं पागल हो जाऊंगी… ओह…. मेरे अच्छे जीजू… हाय…. मुझे ये क्या होता जा रहा है.” डॉली मस्ती मे अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करते हुए मेरे लंड को चूस रही. उसके मूह से थूक निकल कर मेरी जाँघो को गीला कर रहा था. मैने भी चाट-चाट कर उसकी चूत को थूक से तर कर दिया था. करीब 10 मिनट तक हम जीजा- साली ऐसे ही एक दूसरे को चूसते चाटते रहे. हम लोगो का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था. अब मुझसे सहा नही जा रहा था. मैने कहा. ” डॉली साली अब और बर्दाश्त नही होता.. तू सीधी होकर, अपनी टांगे फैला कर लेट जा. अब मैं तुम्हारी चूत मे लंड घुसा कर तुम्हे चोदना चाहता हू.” मेरी इस बात को सुन कर डॉली डर गयी.. उसने अपनी टांगे सिकोड कर अपनी बुर को च्छूपा लिया और घबरा कर बोली. “नही जीजू, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए. मेरी चूत अभी बहुत छ्होटी है और आपका लंड बहुत लंबा और मोटा है. मेरी बूर फट जाएगी और मैं मर जाऊंगी. “मैने कहा डर क्यों रही हो तुम तो शादी शुदा हो.अपने पति का लंड खा चुकी हो. वो डरते हुए बोली जीजू उनका इतना बड़ा नही था आप का तो.मैने कहा बड़ा छ्होटा कुछ नही होता लंड अपनी जगह खुद बना लेता है. “प्लीज़ इस ख़याल को अपने दिमाग़ से निकाल दीजिए. डरने की कोई बात नही है डॉली. मैं तुम्हारा जीजा हू और तुम्हे बहुत प्यार करता हू. मेरा विश्वास करो मैं बड़े ही प्यार से धीरे धीरे चोदुन्गा और तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा”, मैने उसके चेहरे को हाथो मे लेकर उसके होटो पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए कहा.. “लेकिन जीजू, आपका इतना मोटा लंड मेरी छ्होटी सी बुर मे कैसे घुसेगा? ” डॉली ने घबराए हुए स्वर मे पूछा. “इसकी चिंता तुम छोड़ दो डॉली और अपने जीजू पर भरोसा रखो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा.” मैने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया.” “मुझे आप पर पूरा भरोसा है जीजू, फिर भी बहुत डर लग रहा है. पता नही क्या होने वाला है.” डॉली का डर कम नही हो पा रहा था. मैने उसे फिर से धाँढस दिया. “मेरी प्यारी साली, अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ. मैं तुम्हे बहुत प्यार से चोदून्गा. बहुत मज़ा आएगा.” “ठीक है जीजू, अब मेरी जान आपके हाथो मे है”, डॉली इतना कहकर पलंग पर सीधी होकर लेट गयी लेकिन उसके चेहरे से भय सॉफ झलक रहा था. मैने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठाई. फिर उसकी दोनो टाँगो को खींच कर पलंग से बाहर लटका दिया. डॉली डर के मारे अपनी चूत को जाँघो के बीच दबा कर छुपाने की कोशिश कर रही थी. मैने उन्हे फैला कर चौड़ा कर दिया और उसकी टाँगो के बीच खड़ा हो गया. आब मेरा तना हुआ लंड डॉली की छ्होटी सी नाज़ुक चूत के करीब हिचकोले मार रहा था. मैने धीरे से वैसलीन लेकर उसकी चूत मे और अपने लंड पर चिपॉड ली ताकि लंड घुसाने मे आसानी हो. सारा मामला सेट हो चुका था.. अपनी कमसिन साली की मक्खन जैसी नाज़ुक बूर को चोदने का मेरा बरसो पुराना ख्वाब पूरा होने वाला था. मैं अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा. कठोर लंड की रगड़ खाकर थोड़ी ही देर मे डॉली की फुददी (क्लाइटॉरिस) कड़ी हो कर तन गयी. वो मस्ती मे कापने लगी और अपने चूतड़ को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी. “बहुत अच्छा लग रहा है जीजू……. ओ..ऊ… ओ..ऊओह ..आ बहुत मज़ा आआअरहा है… और रगड़िए जीजू…तेज तेज रगड़िए…. ” वो मस्ती से पागल होने लगी थी और अपने ही हाथो से अपनी चूचियो को मसलने लगी थी. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था. मैं बोला, “मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है साली. बस ऐसे ही साथ देती रहो. आज मैं तुम्हे चोदकर पूरी औरत बना दूँगा.” मैं अपना लंड वैसे ही लगातार उसकी चूत पर रगड़ता जा रहा था. वो फिर बोलने लगी. “हाय जीजू जी….ये आपने क्या कर दिया……ऊऊओ….मेरे पूरे बदन मे करंट दौड़ रहा है……..मेरी चूत के अंदर आग लगी हुई है जीजू…. अब सहा नही आता… ऊवू जीजू जी… मेरे अच्छे जीजू…. कुछ कीजिए ना.. मेरे चूत की आग बुझा दीजिए….अपना लंड मेरी बुर मे घुसा कर चोदिए जीजू…प्लीज़… जीजू…चोदो मेरी चूत को.” “लेकिन डॉली, तुम तो कह रही थी कि मेरा लंड बहुत मोटा है, तुम्हारी बुर फट जाएगी. अब क्या हो गया?” ” मैने यू ही प्रश्न किया.ओह जीजू, मुझे क्या मालूम था कि चुदाई मे इतना मज़ा आता है. आआआः अब और बर्दाश्त नही होता.” डॉली अपनी कमर को उठा-उठा कर पटक रही थी. “हाई जीजू….. ऊऊऊः… आग लगी है मेरी चूत के अंदर .. अब देर मत कीजिए…. अब लंड घुसा कर चोदिए अपनी साली को… घुसेड दीजीये अपने लंड को मेरी बुर के अंदर… फट जाने दीजिए इसको ….कुछ भी हो जाए मगर चोदिए मुझे ” डॉली पागलो की तरह बड़बड़ाने लगी थी. मैं समझ गया, लोहा गरम है इसी समय चोट करना ठीक रहेगा.” मैने अपने फनफनाए हुए कठोर लंड को उसकी चूत के छोटे से छेद पर अच्छी तरह सेट किया. उसकी टाँगो को अपने पेट से सटा कर अच्छी तरह जाकड़ लिया और एक ज़ोर दार धक्का मारा.अचानक डॉली के गले से एक तेज चीख निकली. “आआआआः. ….बाप रीईईई… मर गयी मैं…. निकालो जीजू….बहुत दर्द हो रहा है….बस करो जीजू… नही चुदवाना है मुझे….मेरी चूत फट गयी जीजू… छोड़ दीजिए मुझे अब…मेरी जान निकल रही है.” डॉली दर्द से बेहाल होकर रोने लगी थी. मैने देखा, मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत को फाड़ कर अंदर घुस गया था. और अंदर से खून भी निकल रहा था. अपनी दुलारी साली को दर्द से बिलबिलाते देख कर मुझे दया तो बहुत आई लेकिन मैने सोचा अगर इस हालत मे मैं उसे छोड़ दूँगा तो वो दुबारा फिर कभी इसके लिए राज़ी नही होगी. मैने उसे हौसला देते हुए कहा. “बस साली थोड़ा और दर्द सह लो. पहली बार चुदवाने मे दर्द तो सहना ही पड़ता है. एक बार रास्ता खुल गया तो फिर मज़ा ही मज़ा है.” मैं डॉली को धीरज देने की कोशिश कर रहा था मगर वो दर्द से छटपटा रही थी. “मैं मर जाऊंगी जीजू… प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए…बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है.. प्लीज़ जीजू…..निकाल लीजिए अपना लंड”, डॉली ने गिड़गिदाते हुए अनुरोध किया. लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुमकिन नही था. मेरी साली डॉली दर्द से रोती बिलखती रही और मैं उसकी टाँगो को कस कर पकड़े हुए अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा. थोड़ी थोड़ी देर पर मैं लंड का दबाव थोड़ा बढ़ा देता था ताकि वो थोड़ा और अंदर चला जाए. इस तरह से डॉली तकरीबन 15 मिनट तक तड़पती रही और मैं लगातार धक्के लगाता रहा. कुछ देर बाद मैने महसूस किया कि मेरी साली का दर्द कुछ कम हो रहा था. दर्द के साथ साथ अब उसे मज़ा भी आने लगा था क्योकि अब वह अपने चूतड़ को बड़े ही लय-ताल मे उपर नीचे करने लगी थी. उसके मूह से अब कराह के साथ साथ सिसकारी भी निकलने लगी थी. मैने पूछा. “क्यो साली, अब कैसा लग रहा है? क्या दर्द कुछ कम हुआ?” “हां जीजू, अब थोड़ा थोड़ा अच्छा लग रहा है. बस धीरे धीरे धक्के लगाते रहिए. ज़्यादा अंदर मत घुसाईएगा. बहुत दुखता है.” डॉली ने हान्फ्ते हुए स्वर मे कहा. “ठीक है साली, तुम अब चिंता छोड़ दो. अब चुदाई का असली मज़ा आएगा.” मैं हौले हौले धक्के लगाता रहा. कुछ ही देर बाद डॉली की चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी.. मेरा लंड भी अब कुछ आराम से अंदर बाहर होने लगा. हर धक्के के साथ फॅक-फॅक की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. मुझे भी अब ज़्यादा मज़ा मिलने लगा था. डॉली भी मस्त हो कर चुदाई मे मेरा सहयोग देने लगी थी. वो बोल रही थी, “आअब अच्छा लग रहा है जीजू, अब मज़ा आ रहा है.ओह जीजू…ऐसे ही चोदते रहिए….और अंदर घुसा कर चोदिए जीजू….आह आपका लंड बहुत मस्त है जीजू जी….बहुत सुख दे रहा है.” डॉली मस्ती मे बड़बदाए जा रही थी. मुझे भी बहुत आराम मिल रहा था. मैने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. तेज़ी से धक्के लगाने लगा. अब मेरा लगभग पूरा लंड डॉली की चूत मे जा रहा था मैं भी मस्ती के सातवे आसमान पर पहुच गया और मेरे मूह से मस्ती के शब्द फूटने लगे. ” हाई डॉली, मेरी प्यारी साली, मेरी जान….आज तुमने मुझ से चुदवा कर बहुत बड़ा उपकार किया है…हां….साली…तुम्हारी चूत बहुत टाइट है….बहुत मस्त है…तुम्हारी चूची भी बहुत कसी कसी है.ओह्ह…बहुत मज़ा आ रहा है.” डॉली अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदाई मे मेरी मदद कर रही थी. हम दोनो जीजा साली मस्ती की बुलंदियो को छू रहे थे. तभी डॉली चिल्लाई, “जीजू…. मुझे कुछ हो रहा है…..आ हह…जीजू….. मेरे अंदर से कुछ निकल रहा है….ऊहह….जीजू….मज़ा आ गया….ह….उई… माअं….” डॉली अपनी कमर उठा कर मेरे पूरे लंड को अपनी बूर के अंदर समा लेने की कोशिश करने लगी. मैं समझ गया कि मेरी साली का क्लाइमॅक्स आ गया है. वह झाड़ रही थी. मुझ से भी अब और सहना मुश्किल हो रहा था. मैं खूब तेज-तेज धक्के मार कर उसे चोदने लगा और थोड़ी ही देर मे हम जीजा साली एक साथ स्खलित हो गये. मेरा ढेर सारा वीर्य डॉली की चूत मे पिचकारी की तरह निकल कर भर गया.. मैं उसके उपर लेट कर चिपक गया. डॉली ने मुझे अपनी बाँहो मे कस कर जाकड़ लिया. कुछ देर तक हम दोनो जीजा-साली ऐसे ही एक दूसरे के नंगे बदन से चिपके हान्फ्ते रहे. जब साँसे कुछ काबू मे हुई तो डॉली ने मेरे होटो पर एक प्यार भरा चुंबन लेकर पूछा, “जीजू, आज आपने अपनी साली को वो सुख दिया है जिसके बारे मे मैं बिल्कुल अंजान थी. अब मुझे इसी तरह रोज चोदियेगा. ठीक है ना जीजू?” मैने उसकी चूचियो को चूमते हुए जबाब दिया, “आज तुम्हे चोद्कर जो सुख मिला है वो तुम्हारी अम्मा को चोद्कर भी नही मिला….तुमने आज अपने जीजू को तृप्त कर दिया.” वह भी बड़ी खुश हुई और कहने लगी, “आप ने मुझे आज बता दिया कि औरत और मर्द का क्या संबंध होता है.”मनोज(उसका पति ) ने मुझे कभी ये सुख नही दिया.वो तो अपने छ्होटे लंड से कुछ ही देर मे झाड़ जाता था. वह मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मैं उसकी रेशमी ज़ुल्फो से खेल रहा था. डॉली ने मेरा लंड को हाथ से पकड़ लिया. उसके हाथो के सपर्श से फिर मेरा लंड खड़ा होने लगा, फिर से मेरे मे काम वासना जागृत होने लगी.
ससुराल में सुहागरात --3
गतान्क से आगे............……………………………….
मैं मस्ती मे बड़बड़ाने लगा. “हां डॉली, हां.. शाबाश.. बहुत अच्छा चूस रही हो, ..और अंदर लेकर चूसो.” डॉली और तेज़ी से लंड को मूह के अंदर बाहर करने लगी. मैं समझ गया वो कितनी प्यासी होगी.मैं मस्ती मे पागल होने लगा. मैने उसकी स्कर्ट और चड्धी दोनो को एक साथ खींच कर टाँगो से बाहर निकाल कर अपनी साली को पूरी तरह नंगी कर दिया और फिर उसकी टाँगो को फैला कर उसकी चूत को देखने लगा. वाह! क्या चूत थी, बिल्कुल मक्खन की तरह चिकनी और मुलायम. उसकी चूत पर झांन्टो का नामो निशान नही था.लगता था कल कि चुदाई देख कर वो मतवाली हो चुकी थी ओर अपनी चूत को नहाते वक्त ही क्लीन की होगी. मैने अपना चेहरा उसकी जाँघो के बीच घुसा दिया और उसकी नन्ही सी बुर पर अपनी जीभ फेरने लगा. चूत पर मेरी जीभ की रगड़ से डॉली का शरीर गनगना गया. उसका जिस्म मस्ती मे कापने लगा. वह बोल उठी. “हाय जीजू…. ये आप क्या कर रहे है… मेरी चूत क्यो चाट रहे है…आह… मैं पागल हो जाऊंगी… ओह…. मेरे अच्छे जीजू… हाय…. मुझे ये क्या होता जा रहा है.” डॉली मस्ती मे अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करते हुए मेरे लंड को चूस रही. उसके मूह से थूक निकल कर मेरी जाँघो को गीला कर रहा था. मैने भी चाट-चाट कर उसकी चूत को थूक से तर कर दिया था. करीब 10 मिनट तक हम जीजा- साली ऐसे ही एक दूसरे को चूसते चाटते रहे. हम लोगो का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था. अब मुझसे सहा नही जा रहा था. मैने कहा. ” डॉली साली अब और बर्दाश्त नही होता.. तू सीधी होकर, अपनी टांगे फैला कर लेट जा. अब मैं तुम्हारी चूत मे लंड घुसा कर तुम्हे चोदना चाहता हू.” मेरी इस बात को सुन कर डॉली डर गयी.. उसने अपनी टांगे सिकोड कर अपनी बुर को च्छूपा लिया और घबरा कर बोली. “नही जीजू, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए. मेरी चूत अभी बहुत छ्होटी है और आपका लंड बहुत लंबा और मोटा है. मेरी बूर फट जाएगी और मैं मर जाऊंगी. “मैने कहा डर क्यों रही हो तुम तो शादी शुदा हो.अपने पति का लंड खा चुकी हो. वो डरते हुए बोली जीजू उनका इतना बड़ा नही था आप का तो.मैने कहा बड़ा छ्होटा कुछ नही होता लंड अपनी जगह खुद बना लेता है. “प्लीज़ इस ख़याल को अपने दिमाग़ से निकाल दीजिए. डरने की कोई बात नही है डॉली. मैं तुम्हारा जीजा हू और तुम्हे बहुत प्यार करता हू. मेरा विश्वास करो मैं बड़े ही प्यार से धीरे धीरे चोदुन्गा और तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा”, मैने उसके चेहरे को हाथो मे लेकर उसके होटो पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए कहा.. “लेकिन जीजू, आपका इतना मोटा लंड मेरी छ्होटी सी बुर मे कैसे घुसेगा? ” डॉली ने घबराए हुए स्वर मे पूछा. “इसकी चिंता तुम छोड़ दो डॉली और अपने जीजू पर भरोसा रखो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा.” मैने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया.” “मुझे आप पर पूरा भरोसा है जीजू, फिर भी बहुत डर लग रहा है. पता नही क्या होने वाला है.” डॉली का डर कम नही हो पा रहा था. मैने उसे फिर से धाँढस दिया. “मेरी प्यारी साली, अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ. मैं तुम्हे बहुत प्यार से चोदून्गा. बहुत मज़ा आएगा.” “ठीक है जीजू, अब मेरी जान आपके हाथो मे है”, डॉली इतना कहकर पलंग पर सीधी होकर लेट गयी लेकिन उसके चेहरे से भय सॉफ झलक रहा था. मैने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठाई. फिर उसकी दोनो टाँगो को खींच कर पलंग से बाहर लटका दिया. डॉली डर के मारे अपनी चूत को जाँघो के बीच दबा कर छुपाने की कोशिश कर रही थी. मैने उन्हे फैला कर चौड़ा कर दिया और उसकी टाँगो के बीच खड़ा हो गया. आब मेरा तना हुआ लंड डॉली की छ्होटी सी नाज़ुक चूत के करीब हिचकोले मार रहा था. मैने धीरे से वैसलीन लेकर उसकी चूत मे और अपने लंड पर चिपॉड ली ताकि लंड घुसाने मे आसानी हो. सारा मामला सेट हो चुका था.. अपनी कमसिन साली की मक्खन जैसी नाज़ुक बूर को चोदने का मेरा बरसो पुराना ख्वाब पूरा होने वाला था. मैं अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा. कठोर लंड की रगड़ खाकर थोड़ी ही देर मे डॉली की फुददी (क्लाइटॉरिस) कड़ी हो कर तन गयी. वो मस्ती मे कापने लगी और अपने चूतड़ को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी. “बहुत अच्छा लग रहा है जीजू……. ओ..ऊ… ओ..ऊओह ..आ बहुत मज़ा आआअरहा है… और रगड़िए जीजू…तेज तेज रगड़िए…. ” वो मस्ती से पागल होने लगी थी और अपने ही हाथो से अपनी चूचियो को मसलने लगी थी. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था. मैं बोला, “मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है साली. बस ऐसे ही साथ देती रहो. आज मैं तुम्हे चोदकर पूरी औरत बना दूँगा.” मैं अपना लंड वैसे ही लगातार उसकी चूत पर रगड़ता जा रहा था. वो फिर बोलने लगी. “हाय जीजू जी….ये आपने क्या कर दिया……ऊऊओ….मेरे पूरे बदन मे करंट दौड़ रहा है……..मेरी चूत के अंदर आग लगी हुई है जीजू…. अब सहा नही आता… ऊवू जीजू जी… मेरे अच्छे जीजू…. कुछ कीजिए ना.. मेरे चूत की आग बुझा दीजिए….अपना लंड मेरी बुर मे घुसा कर चोदिए जीजू…प्लीज़… जीजू…चोदो मेरी चूत को.” “लेकिन डॉली, तुम तो कह रही थी कि मेरा लंड बहुत मोटा है, तुम्हारी बुर फट जाएगी. अब क्या हो गया?” ” मैने यू ही प्रश्न किया.ओह जीजू, मुझे क्या मालूम था कि चुदाई मे इतना मज़ा आता है. आआआः अब और बर्दाश्त नही होता.” डॉली अपनी कमर को उठा-उठा कर पटक रही थी. “हाई जीजू….. ऊऊऊः… आग लगी है मेरी चूत के अंदर .. अब देर मत कीजिए…. अब लंड घुसा कर चोदिए अपनी साली को… घुसेड दीजीये अपने लंड को मेरी बुर के अंदर… फट जाने दीजिए इसको ….कुछ भी हो जाए मगर चोदिए मुझे ” डॉली पागलो की तरह बड़बड़ाने लगी थी. मैं समझ गया, लोहा गरम है इसी समय चोट करना ठीक रहेगा.” मैने अपने फनफनाए हुए कठोर लंड को उसकी चूत के छोटे से छेद पर अच्छी तरह सेट किया. उसकी टाँगो को अपने पेट से सटा कर अच्छी तरह जाकड़ लिया और एक ज़ोर दार धक्का मारा.अचानक डॉली के गले से एक तेज चीख निकली. “आआआआः. ….बाप रीईईई… मर गयी मैं…. निकालो जीजू….बहुत दर्द हो रहा है….बस करो जीजू… नही चुदवाना है मुझे….मेरी चूत फट गयी जीजू… छोड़ दीजिए मुझे अब…मेरी जान निकल रही है.” डॉली दर्द से बेहाल होकर रोने लगी थी. मैने देखा, मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत को फाड़ कर अंदर घुस गया था. और अंदर से खून भी निकल रहा था. अपनी दुलारी साली को दर्द से बिलबिलाते देख कर मुझे दया तो बहुत आई लेकिन मैने सोचा अगर इस हालत मे मैं उसे छोड़ दूँगा तो वो दुबारा फिर कभी इसके लिए राज़ी नही होगी. मैने उसे हौसला देते हुए कहा. “बस साली थोड़ा और दर्द सह लो. पहली बार चुदवाने मे दर्द तो सहना ही पड़ता है. एक बार रास्ता खुल गया तो फिर मज़ा ही मज़ा है.” मैं डॉली को धीरज देने की कोशिश कर रहा था मगर वो दर्द से छटपटा रही थी. “मैं मर जाऊंगी जीजू… प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए…बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है.. प्लीज़ जीजू…..निकाल लीजिए अपना लंड”, डॉली ने गिड़गिदाते हुए अनुरोध किया. लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुमकिन नही था. मेरी साली डॉली दर्द से रोती बिलखती रही और मैं उसकी टाँगो को कस कर पकड़े हुए अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा. थोड़ी थोड़ी देर पर मैं लंड का दबाव थोड़ा बढ़ा देता था ताकि वो थोड़ा और अंदर चला जाए. इस तरह से डॉली तकरीबन 15 मिनट तक तड़पती रही और मैं लगातार धक्के लगाता रहा. कुछ देर बाद मैने महसूस किया कि मेरी साली का दर्द कुछ कम हो रहा था. दर्द के साथ साथ अब उसे मज़ा भी आने लगा था क्योकि अब वह अपने चूतड़ को बड़े ही लय-ताल मे उपर नीचे करने लगी थी. उसके मूह से अब कराह के साथ साथ सिसकारी भी निकलने लगी थी. मैने पूछा. “क्यो साली, अब कैसा लग रहा है? क्या दर्द कुछ कम हुआ?” “हां जीजू, अब थोड़ा थोड़ा अच्छा लग रहा है. बस धीरे धीरे धक्के लगाते रहिए. ज़्यादा अंदर मत घुसाईएगा. बहुत दुखता है.” डॉली ने हान्फ्ते हुए स्वर मे कहा. “ठीक है साली, तुम अब चिंता छोड़ दो. अब चुदाई का असली मज़ा आएगा.” मैं हौले हौले धक्के लगाता रहा. कुछ ही देर बाद डॉली की चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी.. मेरा लंड भी अब कुछ आराम से अंदर बाहर होने लगा. हर धक्के के साथ फॅक-फॅक की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. मुझे भी अब ज़्यादा मज़ा मिलने लगा था. डॉली भी मस्त हो कर चुदाई मे मेरा सहयोग देने लगी थी. वो बोल रही थी, “आअब अच्छा लग रहा है जीजू, अब मज़ा आ रहा है.ओह जीजू…ऐसे ही चोदते रहिए….और अंदर घुसा कर चोदिए जीजू….आह आपका लंड बहुत मस्त है जीजू जी….बहुत सुख दे रहा है.” डॉली मस्ती मे बड़बदाए जा रही थी. मुझे भी बहुत आराम मिल रहा था. मैने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. तेज़ी से धक्के लगाने लगा. अब मेरा लगभग पूरा लंड डॉली की चूत मे जा रहा था मैं भी मस्ती के सातवे आसमान पर पहुच गया और मेरे मूह से मस्ती के शब्द फूटने लगे. ” हाई डॉली, मेरी प्यारी साली, मेरी जान….आज तुमने मुझ से चुदवा कर बहुत बड़ा उपकार किया है…हां….साली…तुम्हारी चूत बहुत टाइट है….बहुत मस्त है…तुम्हारी चूची भी बहुत कसी कसी है.ओह्ह…बहुत मज़ा आ रहा है.” डॉली अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदाई मे मेरी मदद कर रही थी. हम दोनो जीजा साली मस्ती की बुलंदियो को छू रहे थे. तभी डॉली चिल्लाई, “जीजू…. मुझे कुछ हो रहा है…..आ हह…जीजू….. मेरे अंदर से कुछ निकल रहा है….ऊहह….जीजू….मज़ा आ गया….ह….उई… माअं….” डॉली अपनी कमर उठा कर मेरे पूरे लंड को अपनी बूर के अंदर समा लेने की कोशिश करने लगी. मैं समझ गया कि मेरी साली का क्लाइमॅक्स आ गया है. वह झाड़ रही थी. मुझ से भी अब और सहना मुश्किल हो रहा था. मैं खूब तेज-तेज धक्के मार कर उसे चोदने लगा और थोड़ी ही देर मे हम जीजा साली एक साथ स्खलित हो गये. मेरा ढेर सारा वीर्य डॉली की चूत मे पिचकारी की तरह निकल कर भर गया.. मैं उसके उपर लेट कर चिपक गया. डॉली ने मुझे अपनी बाँहो मे कस कर जाकड़ लिया. कुछ देर तक हम दोनो जीजा-साली ऐसे ही एक दूसरे के नंगे बदन से चिपके हान्फ्ते रहे. जब साँसे कुछ काबू मे हुई तो डॉली ने मेरे होटो पर एक प्यार भरा चुंबन लेकर पूछा, “जीजू, आज आपने अपनी साली को वो सुख दिया है जिसके बारे मे मैं बिल्कुल अंजान थी. अब मुझे इसी तरह रोज चोदियेगा. ठीक है ना जीजू?” मैने उसकी चूचियो को चूमते हुए जबाब दिया, “आज तुम्हे चोद्कर जो सुख मिला है वो तुम्हारी अम्मा को चोद्कर भी नही मिला….तुमने आज अपने जीजू को तृप्त कर दिया.” वह भी बड़ी खुश हुई और कहने लगी, “आप ने मुझे आज बता दिया कि औरत और मर्द का क्या संबंध होता है.”मनोज(उसका पति ) ने मुझे कभी ये सुख नही दिया.वो तो अपने छ्होटे लंड से कुछ ही देर मे झाड़ जाता था. वह मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मैं उसकी रेशमी ज़ुल्फो से खेल रहा था. डॉली ने मेरा लंड को हाथ से पकड़ लिया. उसके हाथो के सपर्श से फिर मेरा लंड खड़ा होने लगा, फिर से मेरे मे काम वासना जागृत होने लगी.