लाल फूलों का गुलदस्ता

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लाल फूलों का गुलदस्ता

by aries » Wed Oct 02, 2024 3:04 am

इस व्यस्त शादी के समारोह में, मेरे हाथ में मुरझाए हुए फूलों का एक गुलदस्ता था। सब लोग खुश थे, लेकिन मैं जैसे इस भीड़ में एक अदृश्य शख्स बनकर रह गया था। आज सिया का बड़ा दिन है, और वह किसी और के साथ शादी कर रही है। मेरी भूमिका केवल एक दर्शक की थी, जो अपनी भावनाओं को छिपा रहा था।

“तू उसे क्या दे सकता है?” मेरे दोस्त ने मुझसे एक बार कहा था। आज, उसकी बात मेरे दिल में खटक रही थी। सिया के सामने खड़ा होना और यह महसूस करना कि मैं उसकी खुशियों में शामिल नहीं हूँ, बेहद तकलीफदेह था। मेरे हाथ में केवल सूखे फूल थे, और मेरे दिल में बस खालीपन।

“हे भगवान, क्या मैं तुझसे यह कहूँ, या खुद को ही समझा लूँ कि मेरे पास अब कोई उम्मीद नहीं है?” ये विचार मेरे मन में दौड़ रहे थे। जब भी मैं सिया के करीब होता, मेरा दिल बेकरार हो उठता। उसकी एक झलक, उसकी मुस्कान, सब कुछ मुझे मोह लेता था। लेकिन आज, यह सब मुझे और भी ज्यादा दुखी कर रहा था।

धीरे-धीरे, मैंने सिया की ओर कदम बढ़ाया और उसे गुलदस्ता देने के लिए झुका। जब उसने मेरी ओर देखा और “धन्यवाद” कहा, तो मुझे लगा कि उसकी खूबसूरती अब महज एक धोखा है। उसकी आँखों में एक अधूरापन था, जैसे वह अपनी खुशी का अभिनय कर रही हो।

“क्या वह सिर्फ एक गुड़िया की तरह यहाँ बैठी है?” मैंने सोचा। उसका हंसना, उसकी खूबसूरती, सब कुछ अब बेकार सा लग रहा था। वो एक मासूमियत के बिना बस एक शोभा बनकर रह गई थी।

“मेरे पास सिर्फ तुम्हारी यादें हैं, और अब मेरा दिल भी तुम्हारी चाहत में तड़प रहा है।” मैंने उसे देखकर महसूस किया कि अब मैं अपनी भावनाओं को छुपा नहीं सकता। लेकिन कैसे उसे बताऊँ कि आज वह किसी और की दुल्हन है?

मैंने फिर से उसे गुलदस्ता देने की कोशिश की, लेकिन फूलों के बीच से मेरी छिपी हुई रिवॉल्वर झलक गई। उस रिवॉल्वर में दो गोलियाँ थीं। उस वक्त, कोई भी हमें नहीं देख रहा था। हम दोनों जैसे दुनिया से बेखबर थे, एक-दूसरे की आँखों में देखते हुए।

वो फिर से मुस्कुराई, और मुझे ऐसा लगा जैसे सारी खुशियाँ लौट आई हों। उसकी मुस्कान में वो चिंगारी थी, जो मैंने लंबे समय से नहीं देखी थी। उसकी आँखें बंद हुईं, जैसे वो खुद को मुझ पर सौंप रही हो।

लेकिन जैसे ही मैंने रिवॉल्वर की ओर देखा, मैंने देखा कि उसकी रंगत बदल रही थी। वह धीरे-धीरे बेहोश हो गई, और मुझे एहसास हुआ कि जिंदगी के इस खौफनाक मोड़ पर हम एक-दूसरे से मिल गए हैं।

लोग अब उसके चारों ओर इकट्ठा हो गए थे। खुशी की जगह शोर-गुल ने ले ली। लेकिन मैं बस उस रिवॉल्वर को देख रहा था, जो मेरे हाथ में थी। मेरे दिल में अब सिर्फ प्यार की पीड़ा रह गई थी।

“मेरी जिंदगी अब तेरी चाहत के सिवा कुछ भी नहीं,” मैंने सोचा, और मेरे मन में यही एक बात रह गई।

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